Sunday 14 August 2011

कौन जाने किसी के मन की बात......!!

कौन जाने किसी के मन की बात......
गर किसी के दिल में रिश्तों की कोई अहमियत हो 
और हो गर किसी के दर्द का अहसास 
कौन जाने किसी के मन की बात......
एक-दुसरे के साथ तो रहते हैं हम सब 
फिर भी कोई प्यास रहते हैं हम
एक-दुसरे को सच में गर जान लें हम
फिर कहीं पर रहे ना कोई घात......
कौन जाने किसी के मन की बात......
धरती पर तो सबको प्रेम का है आसरा 
वरना झूठ-मुठ ही लोगों का है जमावड़ा 
हम अगर सच में ही संग-साथ चले 
कभी ना छूटे आपस का यह विश्वास
कौन जाने किसी के मन की बात......!!